आँख उठाकर भी न देखूँ जिससे मेरा दिल न मिले
जबरन सबसे हाथ मिलाना मेरे बस की बात नहीं
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जबरन सबसे हाथ मिलाना मेरे बस की बात नहीं
कुछ मतलबी लोग ना आते
तो जिंदगी इतनी बुरी भी नहींथी
करके नीयत तेरे होंठों की हमनें
एक खिलता हुआ गुलाब चूम लिया
लाखों ठोकरों के बाद भी संभलती रहूँगी मैं
गिर कर फिर उठूँगी और चलता रहूँगी मैं
न मैं क़ाबिल-ए-तारीफ़ हूँ न क़ाबिल ए तहसीन एक सुलझी हुवी इंसान हूँ उलझे मिजाज की
झट से बदल दूं इतनी न हैसियत न मेरी आदत हैं रिश्ते हों या लिबास मैं बरसों चलाती हूँ
माना कि मैं बुरी हूँ पर
दूसरे लोगो की तरह किसी पर कीचड़ नहीं उछालती
दुनिया कहती हैं कि बस अब हार मान जा उम्मीद पुकारती हैं कि बस एक बार और सही
खटकती तो उनको हूँ साहब जहाँ मैं झुकती नहीं
बाकी जिन्हें अच्छी लगती हूँ वो मुझे कही झुकने नहीं देते
सुनो बाबू मेरे स्टेटस और फ़ोटो नशें की तरह होते हैं
एक बार आदत पड़ गई तो बिना पढ़े रह पाना मुश्किल हैं
ये तेरी हल्की सी नफ़रत और थोड़ा सा इश्क़
यह तो बता ये मज़ा-ए-इश्क़ है या सज़ा-ए-इश्क़
मेरे देश के नौजवानों उठो और जल्दी
Fb खोलो लडकिया ऑनलाइन आ रही है
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