इश्क़ के शोले को भड़काओ कि कुछ रात कटे
दिल के अँगारे को दहकाओ कि कुछ रात कटे
चारासाज़ों को भी बुलवाओ कि कुछ रात कटे
कोई जलता ही नहीं कोई पिघलता ही नहीं
मोम बन जाओ पिघल जाओ कि कुछ रात कटे
चश्म ओ रुख़्सार के अज़़कार को जारी रक्खो
प्यार के नामे को दोहराओ कि कुछ रात कटे
आज हो जाने दो हर एक को बद-मस्त-ओ-ख़राब
आज एक एक को पिलवाओ कि कुछ रात कटे
कोह-ए-ग़म और गिराँ और गिराँ और गिराँ
ग़म-ज़दो तेशे को चमकाओ कि कुछ रात कटे
किताब-ए-दिल का कोई सफा खाली नही होता मेरे अपने वो भी पढ लेते है, जो लिखा नही होता
चायना का माल और आने वाला साल
कैसा होगा कोई नही बता सकता 😂
कैसा होगा कोई नही बता सकता 😂
चाहूंगा मे तुझे हर दम तू मेरी जिंदगी
माँगू रब से येही खुशिया ये मेरी बनदगी
मैं तुम्हारी हर चाल से वाकिफ़ हु मैंने ज़िन्दगी का एक हिस्सा हरामियों के साथ गुज़ारा है 😂
उँगलियों पे दुपट्टा लपेट कर शरमा जाती है वो,
जब उसकी सहेलियाँ मेरा नाम लेकर छेड़ती है
आ देखें जरा किश 💋 में कितना है दम
सुनो जान
जब तुम मेरे सामने होते हो ना तो दुनिया कि तो छोड़ो मैं तो एक पल के लिए खुद का नाम तक भूल जाती हूँ
मोहब्बत तो सिर्फ शब्द है इसका अहसास तुम हो
शब्द तो सिर्फ नुमाइश है जज्ब़ात तो मेरे तुम हो
सर्दी में चाय सा है आपका प्यार जितना मिले कम ही लगता है
तुम किसी और से मोहब्बत कर लो
हमे अमीर होने मे अभी वक्त लगेगा
आरजु है के हम तुम्हे इसकदर देखा करे
तुम ही तुम सामने हो हम जिधर देखा करे
मुझे छोङकर वो जिस शख्स के पास गया
बराबरी का भी होता तो सब्र आ जाता
इश्क न हुआ कोहरा हो जैसे उनके सिवा कुछ दिखता ही नहीं
ग़ालिब चाय पीने दे बालकनी में बैठ कर या वो जगह बता जहाँ से उनका दीदार हो
प्यारा भी हुँ Famous भी हुँ Attitude भी नहीं है फिर भी Single हुँ
बहुत मशरूफ हो शायद , जो हमको भूल बैठे हो
ना ये पूछा कहाँ पर हो , ना ये जाना कि कैसे हो
मेरी हस्ती को तुम क्या पहचानोगे "जानेबहार
कई बादशा मशहूर हो गई , मुझे बदनाम करते करते
लिखा था राशी में आज खजाना मिलेगा
एक गली से गुज़रे तो पुराने दोस्त मिल गये
कोई ताललुक न जोडो मगर सामने रहो !
तुम अपने ग़ुरूर मे , अौर हम अपने सुरुर में
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